hiccough
Wednesday, June 29, 2011
Decipher
Eyes saw some things today,
unreal images moving in surreal haze.
And life that seems to stare back,
laughs at me for my ways.
Uneasy mind locks the images,
not to decipher, not to remember, not until a thousand few days!!
Friday, June 17, 2011
झिझक
झिझक सी है, फैसलों के दरमियान,
पलके छुपाये हुए है, ढाई हज़ार आंधियाँ.
कुछ धूल का फव्वारा छटे , तो कुछ बात बने,
कभी दोहरी, कभी अधूरी आँखे मलती ज़िंदगियाँ.
Monday, June 13, 2011
करीब
यकीन नहीं आता, जो तेरा अक्स
मेरे इतना करीब नहीं आता,
ये जानी-पहचानी चाल है नसीब तेरी,
यहाँ आ गए जहां..
कोई तरकीब नहीं आती,
कोई रकीब नहीं भाता.
Saturday, June 11, 2011
दीवानापन
फ़िज़ूल ही सही, कुछ मदहोशी महफूज़ तो हो,
इस शहर की सहर को तकलीफ महसूस तो हो.
बहुत दम भरती है, जूनून-ए-सुकून का,
थोडा उसके दीवानेपन का जुलूस तो हो.
Wednesday, June 1, 2011
The orange light.
The orange light filtered through his hair,
crawls in his eyes.
Smells me, and it tells me,
to drench in it and be unwise.
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