कहा था न!
कि ये सब फसाद है,
कि चल पड़े हो,
पर रास्ते बड़े बर्बाद है,
कहा था न!
तुम बदलने निकले हो,
कि ये सब फसाद है,
कि चल पड़े हो,
पर रास्ते बड़े बर्बाद है,
कहा था न!
तुम बदलने निकले हो,
तुम खुद ही ग़ुम हो जाओगे.
घुटने टेक दोगे,
थोड़े और गुमसुम हो जाओगे.
कहा तो था!
पर मकसद फसाद से परे है.
रास्ता बर्बाद सही, पर ऐसे न जाने
कितने रास्तों से रिश्ते हुए गहरे है.
कहा तो था!
पर ग़ुम होके ही कुछ अब हासिल होगा,
बदले न बदले कोई,
पर गुमसुम दिल बेवजह न रूकावट-ए-मंज़िल होगा!