तू लिख
नहीं लिखा तो यह शोर खा जायेगा
अंदर का उबलता पेट्रोल कब बाहर आएगा ?
खुद को रखा है क़ैद इस सोच के बादल में
अब भी नहीं बरसा तो तेरा सच कहाँ जाएगा ?
तंग नहीं आ गयी क्या खुद से बहस करते करते
बेबस बन निकलने दे ज़हर , तेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
नहीं लिखा तो यह शोर खा जायेगा
अंदर का उबलता पेट्रोल कब बाहर आएगा ?
खुद को रखा है क़ैद इस सोच के बादल में
अब भी नहीं बरसा तो तेरा सच कहाँ जाएगा ?
तंग नहीं आ गयी क्या खुद से बहस करते करते
बेबस बन निकलने दे ज़हर , तेरा कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
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