Wednesday, April 13, 2011

सपना देखा कि..


सपना देखा कि,
डूब रहे थे वो दोनों .
वो खुश भी थे, उदास भी.
कितने ही लोग नीचे झुके,
बचाने को,
वो खामोश भी थे, बदमाश भी.

बचाया न, न समझाया,
देर तक घूरा, फिर झटके से एक को उठाया.
एक पल में सब धुंधला सा गया,
सपना बिखर के बिस्तर पे आ गया.
कुछ असर चाय, और कुछ अखबार खा गया.

(About a bad dream, I saw today)

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