Friday, March 18, 2011

आदत अपनी लगा भी देते है.

चिढ़ा चिढ़ा कर सुइयां चुभा सी देते है!
फिर पास आके,
आँखों से गुदगुदाके,
हँसा भी देते है.

उनका गुस्सा इतना है कि,
मेरा सहम गया.
बेहिचक बेहिसाब,
जिंदादिल देख उनका,
मेरा रूखा-सूखा, मेरा रूठा-ऐंठा
अहम् गया.
सिखाने से सीखने वाला
बना ही देते है.
दिल का आइना, थूक से
चमका ही देते है.
फिर पास आके,
बातों में उलझाके,
आदत अपनी लगा भी देते है.

यह बच्चे नहीं,
ज़लज़ले है.
थमने को नहीं,
थामने को चले है.
ज़ोर इतना, कि सब्र,
कम कि बोल पाता है .
गरम है चाय इतनी,
कि शक्कर का कभी कभी
स्वाद ही नहीं आता है.
फीकी हो या मीठी,
गज़ब की ताजगी से हिला ही देते है.
गिराते है और फिर चुपके से
सर पे चढ़ा भी देते है.
फिर पास आके,
कानों में फुसफुसाके,
दिल को अपना बना ही देते है.

Side effects of working at Ummeed..

No comments: